ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ये वो नाम है जिसने वो करिश्मा कर दिखाया जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। एक होटल के वेटर से ब्रिटैन के प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा किया। आज पुरे दुनिया में जहाँ भी भारतीय हैं सबके लिए एक सम्मान की बात है। जिस अंग्रेज ने हम पर 200 साल तक राज किया आज उस देश का प्रधानमंत्री एक भारतीय है।
आखिरकार वो समय आ ही गया जब अंग्रेजो पर भारतीयों का राज होगा। इतिहास गवाह है कभी अंग्रेज़ों का पूरी दुनिया पर राज हुआ करता था। कहा जाता है उनके राज में सूर्यास्त नहीं होता था। आज का दिन हम सब हिन्दुस्तानियों के लिए गर्व की बात है।
ऋषि सुनक का जन्म:-
ऋषि सुनक का जन्म 12 मई 1980 को ब्रिटेन के साउथम्पैटन में हुआ था। उनके पिता डॉक्टर थे और माँ एक दवाखाना चलाती थी। उनके पिता का जन्म केन्या में और उनकी माता का जन्म तंजानिया में हुआ था। उनके दादा-दादी का जन्म पंजाब के गुंजारवाला में हुआ था जो आज पाकिस्तान में है।
ऋषि सुनक की पढ़ाई:-
ऋषि सुनक की शुरुवाती पढ़ाई साउथ अफ्रीका में हुई। फिर 1990 में उनके माता-पिता इंग्लैंड चले आये। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई विनचेस्टर कॉलेज से पूरी की। फिर दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र की पढ़ाई लिंकन कॉलेज ऑक्सफोर्ड में पूरी की। उसके बाद मास्टर की डिग्री उन्होंने स्टैंफोर्ड कॉलेज से ली जहाँ उनकी मुलाकात इंफोसिस के सीओ-फाउंडर नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से हुई।
ऋषि सुनक का पेशा:-
राजनीति में आने से पहले तक वे 2001 से 2004 तक निवेश बैंक, गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषक के रूप में काम किया बाद में दो हेज फंडों में हिस्सेदार भी की। हालांकि, उनकी संपत्ति का अधिकांश हिस्सा अक्षता मूर्ति से शादी के बाद का है अक्षता के पास इंफोसिस में 690 मिलियन पाउंड की 0.93 फीसदी हिस्सेदारी है।
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ऋषि सुनक का राजनैतिक सफर:-
पहली बार वे संसद में 2015 में पहुंचे यॉर्कशर के रिचमंड से चुन के। उस समय उन्होंने ब्रेग्जिट का समर्थन किया जिस वजह से उनकी एक अलग छवि सबके सामने आयी। उस टाइम की प्रधानमंत्री थेरेसा के सरकार के संसदीय अवर सचिव के रूप में कार्यरत हुवे। थेरेसा के इस्तीफा देने के बाद उन्होंने बोरिस जॉनसन के कंजरवेटिव नेता बनने के अभियान का समर्थक किया जिसका उन्हें जल्दी ही अच्छा परिणाम मिला और जॉनसन ने प्रधान मंत्री नियुक्त होने के तुरंत बाद उनको ट्रेजरी का मुख्य सचिव बना दिया। उसके बाद चांसलर के रूप में उन्होंने यूनाइटेड किंगडम में COVID-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव के मद्देनजर सरकार की आर्थिक नीति पर प्रमुखता से काम किया जिसकी वजह से वो सबकी नज़र में आये और उनका और उनके साथी का इस्तीफा उस टाइम के तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को अपना इस्तीफा देने का कारण बना ।