सर्दी-जुकाम, पुराना नजला और खांसी- ये अलग-अलग रोग नहीं हैं, एक ही हैं। जुकाम का अर्थ है जो थोड़ा समय रहे और साधारण दवा लेने से कुछ महीनों के लिए चला जाए। नजला का अर्थ है, जो बार-बार हो, दवा लेने पर आराम आ जाये, दवा बन्द करने पर फिर हो जाये। जुकाम की दवा लेने से ही नजला होता है। जब शरीर में कफ की मात्रा बढ़ जाती है, और प्रकृति विकार को अपने प्राकृतिक मल मार्ग से बाहर नहीं निकाल पाती, तो नाक से कफ को निकालती है। जुकाम में दवा लेने से नजला, नजले की दवा लेने से खांसी और खांसी की दवा लेने से दमा होता है।
सर्दी-जुकाम का कारण :- इसका मूल कारण शरीर में कफ की वृद्धि।
1. अधिक भोजन खाना।
2. घी-तेल की बनी हुई वस्तुएं खाना।
3. मैदा की बनी चीजें खाना।
4. अधिक मिठाई, दवाईयां व पार्टियों आदि पर बने पदार्थ खाना।
5. बिना भूख के खाना।
6. श्रम का अभाव व अधिक श्रम करना।
7. रात में जागना-जागरण आदि ।
सर्दी-जुकाम में उपचार व भोजन :-
1. जुकाम होने पर एक गिलास गरम पानी में नींबू का रस मिलाकर पीजिए और इसके तुरन्त बाद 20 मिनट का गरम पाद स्नान लें।
2. यदि फिर भी ठीक न हो और नाक से कफ, पानी निकलने लगे तो एक घंटे के लिए छाती लपेट दें।
3. मुंह और गले को भाप दें।
4. सर्वांग भाप भी लाभप्रद है।
5. यदि शौच साफ न आता हो, तो पेडू पर गर्म सेंक के बाद मिट्टी पट्टी 30 मिनट चढ़ाने के बाद गुनगुने पानी का एनिमा दें।
6. एनिमा के बाद कुंजर क्रिया करें।
7. दिन में 4-5 बार गरम पानी में नींबू रस डालकर पीजिए।
8. धूप स्नान या स्टीम बाथ लाभदायक है।
9. भोजन में केवल फल, फलों का रस या सब्जी-सूप या उबली सब्जी ही लीजिए। अधिक भूख होने पर ही दलिया लिया जाए।
10. जुकाम के साथ ज्वर होने पर उपवास करें। केवल तुलसी का काढ़ा दिन में 3-4 बार पी लें ।
11. गर्म-गर्म चने रूमाल में रखकर सूंघने से जुकाम दूर होता है।
12. शरीर को अच्छी तरह ढककर भ्रमण प्राणायाम करें।
13. एक-दो दिन विश्राम करें। यथाशक्ति विपरीतकरणी उड्डीयान बन्द, आदि भी करें।
14. रोटी, चावल, आलू, केला. दाल, चीनी, चाय, मिर्च-मसाले वर्जित है।
पुराना नजला के कारण :-
इसका मुख्य कारण जुकाम को दवा से दबाना है। जिससे कफ रक्त में मिल जाता है। साथ ही जुकाम या नजला होने पर भी निरन्तर, रोटी, दाल, चावल, बिस्कुट, घी, डबल सेटी, तेल की बनी चीजें आदि गरिष्ठ भोजन करना, जिससे शरीर में कफ की वृद्धि हो जाती है। तब प्रकृति उसे बराबर बाहर निकालती है, जिसे नजला कहते हैं।
पुराने नजले में उपचार व भोजन :-
1. प्रातः पेडू पर गरम सेंक के बाद मिट्टी पट्टी 30 मिनट दें। इसके बाद गुनगुने पानी का एनिमा लें।
2. एनिमा के बाद जलनेति व कुंजर क्रिया करें।
3. पांच मिनट का सेंक देकर छाती की लपेट दिन में 2 बार दें।
4. धूप स्नान।
5. यथाशक्ति कटिस्नान, सूखा घर्षण करें
6. सप्ताह में संभव हो तो वाष्प स्नान या गीली चादर लपेट लें।
7. दिन में 4-5 बार गरम पानी में नींबू रस डालकर पीजिए।
8. बारह बजे तक कुछ न खा कर दो बार नींबू पानी पीजिए।
9. दोपहर में पहले तीन दिन फलाहार करें। केला छोड़कर मौसमी, अंगूर, भिगोकर मुनक्का व अंजीर, नारंगी, सेब, अमरूद, गाजर आदि लें।
10. फल की असुविधा होने पर आलू, अरुई, भिन्डी आदि छोड़कर कोई भी सब्जी उबालकर लें। सब्जी में नमक-मसाला न डालें।
11. तीन दिन बाद 2 दिन के लिए नींबू पानी पर उपवास।
12. पांच दिन बाद 2 दिन के लिए रसाहार-फलों का रस या सब्जी सूप लें।
13. सात दिन बाद एक सप्ताह केवल फल लें
14. यदि भूख बहुत लगती है और नजला ठीक हो गया हो तो थोड़ा सा दलिया ले लें।
15. रोटी की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाएं, रोटी की बजाए सब्जी, फल अधिक खाएं।
16. दूध, दही, घी-तेल आदि एक-दो मास वर्जित है।
17. सोते समय पन्द्रह बूंद सरसों के तेल में सात बूंद पानी मिलाकर मधे रगड़ें झाग आने पर सूचें तथा नाक के अन्दर लगाएं।
18. यथाशक्ति सूर्य भेद प्राणायाम, कपालभाति व नाड़ी शोधन प्राणायाम भी करें।
खांसी :-
जुकाम, नजले के बाद खांसी का नम्बर आ जाता है। जुकाम, नजले में जब हम दवाइयों का प्रयोग करते हैं और शरीर में जब कफ जमा हो जाता है तभी खांसी आती है। खांसी के तीन भेद होते हैं- (1) साधारण खांसी, (2) कुकुर खांसी और (3) शुष्क खांसी ।
(1) साधारण खांसी :- इस खांसी में शारीरिक कष्ट नहीं होता । गाढ़ा गाढ़ा कफ थूक के साथ मुख से निकलता है, जिसका निकलना लाभदायक है। आयुर्वेद के अनुसार खांसी के तीन भेद हैं।
(A) वातज खांसी में सीने एवं पीठ में वेदना होती है, इसका असर काफी लम्बा है, पर कफ कम निकलता है।
(B) पित्तज खांसी में ज्वर हो जाता है। रोगी को प्यास अधिक लगती है एवं थूक का स्वाद भी कड़वा हो जाता है।
(C) कफज खांसी में शरीर भारी रहता है। सिरदर्द और कफ भी काफी भारी होता है।
(2) कुकुर खांसी :- इसमें रोगी का दम घुटने लगता है। इसका तीव्र दौरा पड़ने पर फेफड़ों में स्थित रक्त कोषों का विस्फोट हो जाता है। फलस्वरूप मुख एवं नाक से रक्त प्रवाह होता है। अधिकतर 10 वर्ष तक के बच्चे इसके शिकार अधिक होते हैं। इसमें एक विशेष प्रकार की आवाज होती है।
(3) शुष्क खांसी :- सबसे अधिक कष्ट शुष्क खांसी में होता है। बलगम नहीं निकलता परन्तु इसकी अनुभूति सी बनी रहती है। इसे साधारण रोग न समझकर श्वास, तपेदिक, प्लुरिसी, निमोनिया आदि भयानक रोगों का पूर्व रूप समझना चाहिए।
खांसी के कारण :-
1. धुंआ या धूल में श्वास लेने से खांसी की शुरूआत होती है।
2. जुकाम, नजला को दवाइयों से दबाने से खांसी हो जाती है।
3. अपचन, शीत या उष्णता (सर्दी-गर्मी) के गलत अनुपात से भी खांसी होती है।
4. जिन बच्चों की वायु ग्रन्थियां कमजोर होती हैं, उन्हें मामूली सी सर्दी या खुली हवा में ले जाने से खांसी हो जाती है । असावधानी या बार-बार खांसी होने से कुकुर खांसी हो जाती है।
5. कब्ज रहने पर भी खांसी हो जाती है… इत्यादि ।
खांसी में उपचार :- खांसी किसी प्रकार की क्यों न हो, सभी की चिकित्सा लगभग एक ही है।
1. पेडू पर 5 मिनट गरम सेंक के बाद मिट्टी पट्टी 30 मिनट प्रातः-सायं सेंक के बाद 1 घंटे की छाती लपेट, दिन में 2 बार रात को भी छाती लपेट दें।
2. गुनगुने पानी का एनिमा इसके बाद दें।
3. छाती पर 3 मिनट का गरम देकर सो जाएं।
4. सोने से पहले गरम पाद स्नान ।
5. दिन को सिर पर गीला कपड़ा रखकर धूप स्नान लें। खूब पसीना आ जाने पर गीले कपड़े से शरीर पोंछ डालें।
6. सप्ताह में 1-2 बार कुंजर क्रिया और प्रतिदिन जलनेति, शौच के बाद ।
7. सुविधा होने पर स्टीम बाथ लें।
8. तानासन के साथ प्राणायाम, उत्तानपाद आसन के साथ प्राणायाम, नाडीशोधन प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम, भ्रमण प्राणायाम, शंख बजाना, सिहांसन आदि भी करें।
9. यथाशक्ति हलासन, सर्वांगासन व सूर्य नमस्कार करें।
खांसी में भोजन :-
1. पांच दिन गेहूं की रोटी 100 ग्राम, उबली सब्जी और 200 ग्राम सलाद।
2. प्रातः शौच से पहले नींबू पानी और दिन में भी 3-4 बार पियें।
3. पांच दिन के बाद अनाज बंद करके फल या उबली सब्जी सात दिन लें।
4. इसके बाद केवल फल रस या सब्जी-सूप तीन दिन लें।
5. पांच दिन नींबू-शहद-पानी पर उपवास।
6. इसके बाद पीछे से क्रम नं. 4-3-2-1 पर आएं तो खांसी गायब है।
7. गाजर, टमाटर, पपीता, शलजम, सेब, संतरा, मौसमी, लौकी, तरोई, परवल, पालक, चौलाई, अदरक, ककड़ी, खीरा, टिन्डा आदि लें।
8. चावल, दाल, आलू, केला, चीनी, खटाई, चाय, मसाला आदि वर्जित हैं।
9. भूख लगने पर अल्पाहार लें। भोजन के साथ पानी न पीएं।
10. सूखे बलगम को शीघ्र निकालने के लिए पुरानी व अच्छी इमली आधा छटांक, गुड़ आधा छटांक पानी में घोलकर दिन में 3 बार पियें। 11. रात्रि का भोजन हल्का हो व दूध के साथ किशमिश या मुनक्का का प्रयोग करें।
12. कफ युक्त खांसी में अमरूद को आग में भून कर खाएं।
13. सरसों के तेल में सैंधा नमक मिलाकर सीने पर मालिश करें।
14. तुलसी, अदरक की समान मात्रा के एक चम्मच रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर चाटें।
Pingback: निमोनिया क्या है? लक्षण, बचाव और उपचार (What is Pneumonia? Symptoms, Prevention and important 2 type of Treatment in Hindi) - ज्ञान ऑनलाइन
Pingback: शांत मन और निरोगी काया को पाने के लिए करे ये 10 काम ! (calm mind, healthy body) - ज्ञान ऑनलाइन