खरबूजे (melon) कई प्रकार के लाभ प्रदान करते है। एक आम गलत धारणा यह है कि वे कैलोरी में उच्च हैं। वास्तव में, वे फाइबर और चीनी के निम्न स्तर वाले कम वसा वाले फल हैं। हमने नीचे सबसे महत्वपूर्ण लाभों की रूपरेखा दी है सभी विटामिन ए, पोटेशियम और बीटा कैरोटीन से भरपूर हैं।
गुण :- यह भारत के विभिन्न भागों में पाया जाता है, पर गुण की दृष्टि से लगभग सभी समान हैं। यह तृप्तिकारक सुमधुर एवं स्वादिष्ट फल है। यह बहुत प्राचीन काल से व्यवहार में लाया जा रहा है, जिसका वर्णन आयुर्वेद ग्रन्थों में पाया जाता है।
खरबूजे (melon) के 100 ग्राम में पोषक तत्व :-
- कार्बोहाइड्रेट 3.5 ग्राम
- प्रोटीन 3 ग्राम
- चिकनाई .4 ग्राम
- लवण .4 ग्राम
- रेशा .4 ग्राम
- कैलशियम 32 मिग्रा.
- लोहा 1.4 मिग्रा.
- फास्फोरस 14 मिग्रा.
- कैरोटीन 169 माइक्रोग्राम
- थायमिन .11 मिग्रा.
- रिबोफ्लोबिन .08 मिग्रा.
- नाइसिन .3 मिग्रा.
- विटामिन ‘सी’ 26 मिग्रा.
(नोट :- उपरोक्त तालिका से स्पष्ट है कि इसमें जीवन के सभी उपयोगी तत्वों के होने से इसका नियमित उपयोग प्राणी को स्वस्थ रख सकता है।)
खरबूजे (melon) के 7 महत्वपूर्ण फायदे :-
यदि खरबूजे का विवेकपूर्ण इस्तेमाल किया जाए तो इससे कई जीर्ण रोग दूर हो सकते हैं।
• दिल की संबंधी लाभ
• खरबूजा खाने से हमारे शरीर में रोग से लड़ने की ताकत क्षमता बढ़ाता है (सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में वृद्धि करता है)
• भोजन पचने में मदद करता है
• रक्तचाप को नियमित रखता है।
• हड्डियां और दांत को मजबूत बनाता है।
• हमारी त्वचा को खूबसूरत और त्वचा में निखार लाता है।
• आंखों की रोशनी को नियमित रखता है।
• पेट दर्द,कब्ज और पेट सबंधी बिमारियों से लड़ता है।
कब्ज, पेचिश, अश्मरी (पथरी). दुर्बलता, दाह और क्षय, मूत्र की कमी, पसीना की कमी, पीलिया, धर्म रोग, नपुंसकता, प्रदर, गठिया वातव्याधि, हिस्टीरिया, मोटापा, गुर्दे के रोग इत्यादि
खरबूजे (melon) के विभिन्न प्रयोग :-
(क) छिलका :-
1. खरबूजे के छिलकों का शाक बनता है।
2. खरबूजे का भी शाक तथा अचार बनता है।
3. खरबूजे के छिलकों को पीस कर सौंफ के अर्क में घोल कर पिलाने से प्रसूता स्त्री के गर्भाशय का दर्द मिटता है।
4. यह सौंदर्य के लिए वरदान है। इसके छिलके को पीसकर मुंह पर लगाने से झुर्रियां एवं दाग दूर हो जाते हैं।
5. इसके छिलके को दाल में डालकर पकाने से बड़ी ही स्वादिष्ट एवं सुपाच्य हो जाती हैं।
6. इसके छिलके का सूप बनाकर नारियल के जल के साथ देने से मूत्रल प्रभाव होता है और सामान्य नमक द्वारा रूका हुआ जल, जैसे जलोदर आदि में तेजी से निष्कासित होता है, यही नहीं बल्कि मूत्राशय की पथरी को तोड़कर निकालता है।
(ख) बीज :-
1. इसके बीज अति मूत्रल (Diuretic) होने के साथ पोषक तथा चिकनाई प्रदान करने वाले होते है और कामोदीपन बाजीकरण की भी शक्ति का स्रोत है।
2. बीज यूरिक अम्ल एवं पथरी को गलाने में इस्तेमाल होता है।
3. इसका बीज शहद और खजूर के साथ लेने से वीर्य के स्राव को रोकने तथा गाढ़ापन को बढ़ाने के साथ यौन इच्छा की वृद्धि करता है।
4. बीजों का लेप (लुगदी) चेहरे पर करने से कांति बढ़ती है।
5. फोड़े को फाड़ कर बहाने के लिए भी बीजों की पुल्टिस काम करती है।
6. इसके बीज ग्रीष्म ऋतु में ठण्डाई में पड़ते हैं जोकि स्वास्थ्य और मस्तिष्क के लिए लाभप्रद है।
7. बीज की गिरी निकालकर हलवा, बरफी आदि बनाई जाती है।
8. बीज पीसकर दूध भी तैयार किया जाता है।
9, इसके बीजों से तैयार किया हुआ तेल खाने में स्वादिष्ट पोषक एवं मूत्रल प्रभाव रखता है। इत्यादि…
(ग) गूदा (Pulp ) :-
इसका गूदा बहुत ही शक्तिशाली मूत्रल है। अतः मूत्र के रूक जाने या मूत्र के कम आने में बहुत ही लाभप्रद है।
(घ) कच्चा खरबूजा :-
कच्चा खरबूजा भी औषधि गुण से कम नहीं। इसकी सब्जी रुचिकारक, स्वादिष्ट एवं पाचक है। इस प्रकार हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि खरबूजा बहुत ही उपयोगी फल है जिसका हर एक भाग खाद्य एवं औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
सुझाव एवं सावधानियां :-
1. संग्राही के रोगी को इसका कल्प गुणकारी है।
2. क्षय के रोगी को खरबूजे की गिरी तल कर नमक लगा कर दें।
3. हृदय के विकारों के लिए इसका कल्प गुणकारी है।
4. खरबूजा गर्म होता है। इसलिए इसे खाने से पहले थोड़ी देर जल में डाल देना चाहिए। बर्फ से ठंडा करने के लिए इसकी फांकें (टुकड़े) न करके पूरा का पूरा (सम्पूर्ण) ही बर्फ में लगा कर थोड़ी देर बाद निकाल लें।
5. खरबूजा खाकर शक्कर का शर्बत पीने से वह गरमी नहीं करता।
6. खरबूजे के ऊपर दूध नहीं पीना चाहिए।
7. हैजे के दिनों में ज्यादा खाने से हैजा होने का डर रहता है।
8. खाना खाने से 1-2 घंटे पहले या 1-2 घंटे बाद में खाना चाहिए। इसे खाने के साथ या फौरन खाने के बाद मत खाइए।
9. प्रातः या सायं को खरबूजे के गूदे में पानी तथा शक्कर डालकर, मलकर, शर्बत बनाकर किया जा सकता है।
10. खरबूजा अकेला ही खाएं या एक समय का आहार केवल खरबूजे का ही हो”