गेंहू के दानों की बाहरी सतह या छिलके को प्रायः चोकर (bran flour) या भूसी के नाम से पुकारा जाता है। आमतौर पर आटे के इस महत्वपूर्ण अंश को निरुपयोगी समझकर फेंकने के कारण स्वास्थ्य को भारी क्षति उठानी पड़ती है।
चोकर (bran flour) के महत्वपूर्ण तत्व :-
चोकर गेहूं के वजन का लगभग पांचवां हिस्सा होता है, परन्तु उसमें गेहू के कुल खनिज लवणों का तीन चौथाई भाग उपस्थित होता है। चोकर में अपने वजन का बीसवां भाग खनिज लवण होते हैं। अपने वजन का तेरहवां भाग फास्फोट ऑफ पोटाश होता है। आटे से चोकर अलग कर देने से उसकी पोटाश की मात्रा में कमी हो जाती है।
ऐसे आटे को निरन्तर खाने से कैंसर तक हो सकता है। ‘सेल्युलोज खाद्य के फैलाव या घनत्व के लिए नितान्त आवश्यक होता है, उसे निकाल फेंकने से कब्ज या कोष्ठबद्धता ही पल्ले पड़ती है, जो अनेक बीमारियों की जड़ है। दन्त-क्षरण या दांत हिलने-गिरने आदि का एक खास कारण है, गेहूं के आटे से चोकर निकलने के कारण शरीर में चूने की कमी हो जाना।
चोकर (bran flour) को औषधि रूप में :-
कब्ज दूर करने के लिए जुलाब देने वाली दवा में भी चोकर अत्यन्त लाभदायक है। चोकर आंतों को बल एवं सक्रियता प्रदान कर उनका कार्य सुचारू रूप से चलाने में सहायता देता है। अत्यन्त हितकारी मृदु रेचक होने के कारण चोकर भरपूर मात्रा में खाना चाहिए के भोजन में चोकर को शामिल करने से क्षय रोग (Tuberculosis disease) से मरने वालों की संख्या में कमी आ जाती है।
ग्रेट ब्रिटेन में बहुत पहले क्षय रोग (Tuberculosis disease) से मरने वालों की संख्या 36000 प्रतिवर्ष थी, जबकि नार्थ राइडिंग में खाद्य पदार्थों की पोषकता को बढ़ाकर क्षय रोगियों की मृत्यु दर को कम किया गया है। उक्त रोग में काफी मात्रा में रोगियों के भोजन में चोकर का इस्तेमाल करने से ही यह उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की गयी है।
चोकर (bran flour) खाने के 6 महत्वपूर्ण फायदे :-
पाचन के लिए लाभदायक
दिल के लिए लाभदायक
कैंसर से बचाव के लिए
ब्लड प्रेशर में सुधार के लिए
बवासीर में लाभदायक
पित्ताशय के रोग में फायदेमंद
चोकर (bran flour) के उपयोग :-
चोकर की चाय :-
स्नायविक दुर्बलता, रक्त अल्पता, निम्न रक्तचाप से परेशान लोगों को चोकर (bran flour) की चाय बहुत फायदा पहुंचाती है, जो इस प्रकार बनाई जाती है।
चोकर को साधारण ठण्डे पानी में खूब साफ धोकर उसका सब धूल, गर्दा व आटा बहा दीजिए। तत्पश्चात् जितना चोकर हो, उससे 6 गुने पानी में करीब आधा घंटे तक उसे उबालिये। चोकर को उबालते समय केटली या पतीली का मुहं भली प्रकार ढका रखिए, ताकि उसकी भाप अधिक बेकार न हो।
उबल जाने के बाद उसे छानकर उसमें इच्छानुसार शहद, गुड़ या शक्कर और नींबू का रस मिलाकर उसके स्वाद और गुण दोनों का आनन्द लीजिए । सुबह-शाम एक-एक कप ले सकते हैं।
चोकर के बिस्कुट :-
6 भाग गेहूं के आटे में एक भाग चोकर मिलाकर बहुत अच्छी रोटियां बनाई जा सकती हैं। यह मन्दाग्नि तथा मधुमेह प्रमेह की कुछ अवस्थाओं में भी दी जा सकती हैं। इसी प्रकार चोकर मिश्रित केक और बिस्कुट भी बनाये जा सकते हैं।
चोकर साफ करने की विधि :-
यह आवश्यक है कि जो चोकर (bran flour) खाया जाये, वह अच्छे किस्म का हो। साधारणतया लापरवाही से रखने के कारण प्रायः गन्दा मिलता है, उसे खाने योग्य बनाने के लिए चावल की तरह पानी में धोकर धूप में सुखा लेना चाहिए। यह शुद्ध किया हुआ चोकर विभिन्न अनाजों के साथ और बालू की टिकियां तथा अन्य तरकारियों के साथ भी न्यूनाधिक मात्रा में मिलाया जा सकता है। मिलावट का उचित मिकदार तीन चौथाई अनाज में चौथाई चोकर समझना चाहिए। जो की एक उचित मात्रा है मिश्रण के लिए।
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