वहम (False notion) स्वयं में कोई रोग नहीं है परन्तु यह अन्य रोगों की जननी अवश्य है। इसकी दवाई तो विश्व-विख्यात हकीम लुकमान के पास भी नहीं थी। यदि वहम अन्य रोगों की तरह लग जाए, तो पीछा छुड़ाना कठिन हो जाता है। तब यह मानसिक रोग का कारण बन जाता है। महिलाओं में यह शिकायत नब्बे प्रतिशत देखने को मिलती है कि वे प्रायः किसी न किसी वहम की शिकार होती हैं। अनपढ़, अज्ञानी, मूर्ख तो किसी न किसी वहम के फंदे में फंसे ही रहते हैं।
वहम (False notion) के प्रकार व कारण:- वहम कई प्रकार के होते हैं और कई कारणों से हो सकते हैं।
1. कई लोग पुस्तकों-पत्रिकाओं में अनेक प्रकार के रोगों के विषय में पढ़कर स्वयं की तुलना करने लगते हैं। उदाहरणार्थ यदि भूख अधिक लगती है, कमजोरी है, शारीरिक भार में कमी है तो वे मधुमेह के लक्षण समझ बैठते हैं। यदि घबराहट, सिरदर्द, नींद की कमी है तो उच्च रक्तचाप के लक्षण मान बैठते हैं।
बार-बार रोगों के विषय में पढ़ते हुए वे स्वयं में भी ऐसे लक्षण ढूंढ ही लेते हैं। और वहम से ग्रस्त हो जाते हैं कि वे अमुक रोग के शिकार हो गए हैं। उदाहरणार्थ यदि सिर के 2-4 बाल गिरने लगते हैं तो वे गंजेपन के वहम में पड़कर तरह-तरह के उपचार ढूंढते हैं, विशेषकर स्त्रियां । (नोट :- वास्तव में प्रतिदिन कुछ बालों का गिरना एक साधारण सी बात है)
(2) डाक्टरों से मामूली रोग होने पर ही उनसे विचार विर्मश करने पर या उनके suggestion देने से बहुत से रोग होते देखे गए हैं।
3. कार्यालय से छुट्टी लेने के लिए डाक्टर से अमुक रोग का झूठा प्रमाण पत्र लेने से वही रोग व्यक्ति में होता देखा गया है।
4. कई महिलाएं सफाई के वहम में पड़कर सारा दिन घर के फर्श को गीले कपड़े से पोंछती रहती हैं या झाडू देती रहती हैं।
5. कई व्यक्ति किसी एक वस्तु के छूने के बाद हर समय हाथ ही धोते रहते हैं।
6. वहम (False notion) का काण झूठा बहाना भी हो सकता है। उदाहरणार्थ- संयुक्त परिवार में कुछ महिलाएं कामों से छुटकारा पाने के लिए बीमारी का बहाना करके विस्तर पर पड़ी रहती हैं-सिरदर्द, बदन टूटना, टांगों का दर्द, चक्कर आना.. के बहाने बनाना। ये रोग न होते हुए भी जबर्दस्ती ओढ़ लिए जाते हैं।
7. हर जाति, हर देश के वहम अलग-अलग होते हैं।
(क) कोई तो बिल्ली को पालते हैं और प्रातः उठकर इसके दर्शन अशुभ नहीं मानते, परन्तु अन्य लोग बिल्ली के दर्शन बहुत ही अशुभ मानते हैं।
(ख) घर से निकलने पर ब्राह्मण के दर्शन, किसी का छींक मारना, नाई का मिलना, बिल्ली का रास्ता काटना, उल्लू के चीखने की आवाज सुनना, काम पर जाते समय पीछे से आवाज देना आदि अशुभ (बुरा शकुन) समझे जाते हैं।
(ग) वीरवार को कपड़े धोना, मंगलवार को हजामत कराना, अशुभ माना जाता है।
(घ) घर से बाहर निकलने पर सफाई कर्मचारी या गाय के दर्शन शुभ माने जाते हैं और काम में सफलता समझी जाती है।
(ड़) घर से बाहर निकलने पर कोई पानी का गिलास लेकर दरवाजे पर खड़ा हो, तो यात्रा या काम में सफलता का विचार आता है और इसे शुभ समझा जाता है।
(नोट वास्तव में ये उपरोक्त वस्तुएं शुभ या अशुभ नहीं हैं। इनके दर्शन से लाभ या हानि (सफलता या असफलता) की सम्भावना कदापि नहीं होती, परन्तु अपने मन में शुभ या अशुभ विचार आने पर ये वस्तुएं शुभ या अशुभ समझने पर काम बिगड़ता है या संवरता है। ये विचार शक्ति का प्रभाव है और कुछ भी नहीं। लेखक ने भी अपने पर प्रयोग करके देखा है कि बिल्ली आदि के रास्ता काटने पर या मिलने पर काम में कोई बाधा नहीं पड़ी)।
वहम (False notion) का प्रभाव :-
(1) किसी भी कारणवश यदि वहम की अधिकता हो जाए अर्थात सीमा से अधिक वहम बढ़ जाए तो ये किसी मानसिक रोग के लक्षण भी हो सकते हैं। न्यूरोसिस (Neerosis) तथा ओबसेशन (Obsession) जैसे रोग ऐसे अकारण वहम और भय की अन्तिम स्थितियों में ही होते हैं, प्रारम्भ में चाहे ये मानसिक रोग न हों।
(2) वहम (False notion) कोई भी हो, यह व्यक्ति में कार्यक्षमता घटाता है, इससे व्यक्ति आलसी हो जाता है, और कभी-कभी अपना जीवन निरर्थक समझ बैठता है।
(3) व्यक्ति निराशावादी व दुर्बल मन का हो जाता है।
(4) व्यक्ति में दृढता व धीरज घट जाता है… इत्यादि ।
वहम (False notion) की स्थिति में (वहम का दौरा पड़ने पर ) :-
जहां भी बैठे हों या खड़े हों, उस स्थान से उठ कर हट कर, किसी मनोरंजन या मनपसंद कार्य में लग जाएं, टी.वी. का कार्यक्रम देखें, गायत्री मन्त्र का जाप करें या अपने इष्ट देव का ध्यान करें, बच्चों के साथ हंसना-खेलना-कूदना – नाचना शुरू कर दें, या सत्संग या बाग-बगीचे में चले जाएं….. इत्यादि
वहम (False notion) का उपचार :-
(1) वहम (False notion) के विचारों में गलने सड़ने की अपेक्षा स्वयं को दैनिक कार्यों में व्यस्त रखें। “बेकार से बेगार भली” Idleness is Devil’s workshop “
(2) अपने शौक, मन बहलावा, पढ़ने लिखने, बागवानी, कला-कौशल, चित्र – कला, नृत्य, संगीत आदि से पूरा करें।
(3) अच्छे विषयों के प्रति अपना ध्यान लगाकर अध्ययन में रुचि रखें।
(4) महापुरुषों की जीवनियां पढ़ें।
(5) डेल कारनेजी, स्वैट माडर्न, डा. ओंकारनाथ आदि की रचनाएं पढ़ें।
(6) समाजसेवी व कर्मयोगी बनकर निष्काम सेवा करें।
(7) प्रातः सायं रात्रि के समय ईश्वरोपासना करें या अपने इष्टदेव को याद करें।
(8) योगाभ्यास में रुचि लें आसन, प्राणायाम, भ्रमण व्यायाम, ध्यान आदि करें।
(9)सात्विक आहार ही लेना शुरू कर दें।
(10) अकेला न रहा जाए तो बहुत ही अच्छा होगा।
(11) शवासन में लेट कर अंग-अंग ढीला करके सांस पर ध्यान लगाएं।
(12) चुटकले पढ़ें, मजाकिया कार्टून देखें, हंसी व मजाक की फिल्में देखें….. इत्यादि ।
(13) पांव के तलुवों की मालिश, रीढ़ की मालिश, सिर की मालिश भी करते रहें
(14) उपरोक्त वहम के प्रकार व कारण का ध्यान न करें और उन्हें दुहराने का प्रयत्न भी न करें। … इत्यादि ।
(15) रीढ़ सीधी रख कर बैठें, चलें और सोएं। … इत्यादि ।
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