मुँहासे (Acne) दर्दनाक और शर्मनाक हो सकते हैं। लेकिन इन 10 प्राकृतिक नुस्खों से आपको कुछ ही समय में राहत मिल जाएगी। मुँहासे (Acne) सबसे आम त्वचा की स्थिति में से एक है। यह किसी भी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है,और कुछ प्राकृतिक उपचार हैं जो इसके लक्षणों के उपचार में प्रभावी साबित हुए हैं।
मुहांसे (ACNE) होने के कारण :-
1. चेहरे पर रक्त संचार भली भांति न होने, हर समय त्यौड़ियां चढ़ाए रखने तथा अधिक समय धूप में रहने से चेहरे पर झुर्रियां पड़ जाती हैं।
2. आयु के साथ बढ़ने पर बचपन का हंसना, रोना, मुंह चिढ़ाना आदि छूट जाने पर चेहरे की मांस पेशियों का व्यायाम नहीं होता, जिसके फलस्वरूप वृद्धावस्था की झलक चेहरे पर दिखने लगती है।
3. कब्ज के कारण शरीर में विजातीय द्रव्य इकट्ठा होने से मलीन त्वचा व चर्म रोग होना।
4. मानसिक व शारीरिक तनाव सुन्दर त्वचा के शत्रु हैं। अधिक सोचने व चिंतित रहने से चेहरे पर झाईयां, चकते, कील मुहांसे आदि निकलने लगते हैं।
5. अयुक्ताहार- विहार तथा निर्जीवाहार से उत्तम रस न बनने पर विषैला रक्त बनता है और विषैले रक्त से त्वचा रोग होते हैं। अधिक नमक खाना भी कुरूप बनाता है।
6. कृत्रिम प्रसाधनों को प्रयोग में लाने से कई भयंकर रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
मुँहासे (Acne) के प्राकृतिक उपचार :-
(क) घरेलू सौन्दर्य प्रसाधन :-
(1). चार चम्मच बेसन, एक चुटकी हल्दी और चन्दन का बुरादा और 4-5 बूंदे सरसों के तेल में थोड़ा सा दूध मिलाकर उबटन बनाकर स्नान से पहले शरीर पर मलें।
(2) 10 ग्राम मलाई में चौथाई भाग नींबू निचोड़ कर डेढ़ महीने तक लगातार मलने से चेहरे का रंग निखरता है।
(3) मलाई या जैतून के तेल की मालिश करें।
(4) नींबू का रस एक औंस उत्तम गुलाब जल एक ऑस, शुद्ध ग्लसरीन दो औस और एक ग्राम बोरेक्स पाउडर इन सबको मिलाकर एक शीशी में रख लें हाथ, पैर, मुंह आदि पर मलकर सो जाएं रात को वर्ण उज्जवल, सुन्दर कोमल बनेगा।
(5) सब्जियों के पानी से चेहरा धोएं दाल या चावल को पानी में भिगोने से उस पानी से चेहरा धोएं
(6) रात को चने की दाल दूध में भिगोकर प्रातः तेल और हल्दी मिलाकर महीन पीस लें जोर लगाकर हाथ-पांव – चेहरे आदि अंगों पर मलकर आध घंटे बाद स्नान करें।
(7) आंवले का चूर्ण, सन्तरे के छिलके का चूर्ण, भुनी हुई सरसों का चूर्ण, पिसी हुई चिरौंजी का चूर्ण, चन्दन का बुरादा बराबर-बराबर मिलाकर चेहरे पर लगाएं। एक दो घंटे बाद या रात को लगाकर प्रातः धो डालें।
(8) टमाटर के टुकड़े चेहरे पर दस मिनट तक रगड़कर फिर गुनगुने पानी से धो दें।
(9) मट्ठे में नींबू रस मिलाकर मुंह पर मलें।
( 10 ) चेहरे पर खीरा – ककड़ी रगड़िए या मूली टमाटर, कच्चा पपीता, तरबूज के रस मलें।
(11) सन्तरे के छिलकों को सुखाकर उनके चूर्ण को दूध या गुनगुने पानी में एक घंटा भिगोकर चेहरे पर लगाएं और 4-5 मिनट बाद धो डालें।
(12) शहद के एक चम्मच में दूध की क्रीम के दो चम्मच मिलाकर चेहरे को साफ करके लगाएं। झुर्रियों वाले स्थान पर धीरे-धीरे थपथपाइए। 15-20 मिनट तक लगा रहने के बाद चेहरे को पहले गर्म पानी से, बाद में ठंडे पानी से धो डालें। इससे झुर्रियां ठीक हो जाती हैं, थोड़े दिनों के प्रयोग से ही।
(13) आटे को गूंथकर उसमें थोड़ी सी हल्दी मिलाकर चेहरे पर रगड़ें।
(14) ज्यादा पक्के सेब को बारीक पीसकर उसका लेप चेहरे और गर्दन पर अच्छी तरह कर दें। 10-15 मिनट बाद पानी से धो डालें।
(ख) आहार कुछ दिन उपवास के बाद रसाहार तथा फलाहार :-
संतरा, मौसम्बी, गाजर, अंगूर, नींबू, तुलसी, प्याज, टमाटर, खीरा ककड़ी आदि) पर रहने के बाद धीरे-धीरे चोकर समेत आटे की रोटी तथा अधिक मात्रा में साग-सब्जी व फल लें। भूख लगने पर ही सदा क्षारीय आहार लें। पानी खूब पीएं। (नोट :- आठ दाने खजूर के पाव भर दूध के साथ प्रातः एक महीना लें, परन्तु दोपहर तक कुछ न खाएं) ।
(1) एनिमा
(2) नीम के पत्ते उबालकर नहाएं।
(3) आंखें बंद करके चेहरे पर भाप देने के पश्चात गीले तौलिए से पोंछ डालें।
(4) नींबू के रस में नौसादर मिलाकर मुहांसों पर लगाएं।
(5) काले तिलों को पीसकर उनका लेप चेहरे पर करें।
(6) नीम के ताजे पत्ते पानी में पीसकर चेहरे पर मलें और फिर चेहरे को पोंछकर मक्खन या दूध की क्रीम लगा दें।
(7) जायफल को गाय के कच्चे दूध या पानी में घिस कर उसका लेप मुहांसों पर करें।
(8) पोदीना तथा कच्चे पपीते का रस चेहरे के दाग तथा मुहांसों के निशान मिटाता है।
(9) प्रतिदिन दूध की मलाई में चने का आटा मिलाकर चेहरे पर लगाएं, सूख जाने पर धो डालें।
(10) करम कल्ले के पत्तों का रस पीवें और लगावें।
(11) रात को सोते समय चेहरे पर नींबू रस मलकर, प्रातः गर्म पानी से धो दें।
(12) चेहरे प मुल्तानी मिट्टी का लेप करें।
(13) प्रातः तड़के चेहरे पर ओस लगाएं।
(14) अंगुली से अपने चेहरे की बिना तेल के दिन में कई बार सूखी मालिश करें।
(15) मुहांसों के स्थानीय उपचार के साथ-साथ, प्राकृतिक साधनों से शरीर को दोष मुक्त करना ही इनकी वास्तविक चिकित्सा है। इत्यादि ।
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