मधुमेह (Diabetes) एक गंभीर बीमारी है जो आपके शरीर द्वारा भोजन को ऊर्जा में बदलने के तरीके को प्रभावित करती है। सभी लक्षणों और उपचारों आदि के बारे में जानें।
मधुमेह (Diabetes) के कुछ लक्षण:-
- अत्यधिक प्यास लगना, या प्रति दिन 2 लीटर से अधिक तरल पीना
- अत्यधिक भूख, महत्वपूर्ण मात्रा में खाने के बाद भी
- वजन कम होना, लगातार भूख लगना या कम समय में महत्वपूर्ण वजन कम होना
- जल्दी पेशाब आना
- धुंधली दृष्टि
- गंभीर थकान और सुस्ती
- मूत्र में शर्करा का उच्च स्तर
मुख्य कारण:-
पाचन शक्ति से अधिक खाना | श्रम का अभाव | मोटापा |
कब्ज से क्लोम ग्रन्थि का दुर्बल होना | इन्सूलिन का अभाव | मानसिक आघात व लगातार चिन्ताएं – मानसिक कुंठा, दुर्भावना, मनोविकार आदि |
स्नायुविक दुर्बलता | पैत्रिक प्रभाव | अधिक संभोग |
परहेज:-
श्वेत विष (नमक, चीनी, मैदे की चीजें ) अमानुषिक पदार्थ (मांस, मछली, अंडा) मादक द्रव्य (शराब आदि) उत्तेजक पदार्थ (सिगरेट, चाय आदि) बहुत मीठे फल, साबूदाना, दालें, चुकन्दर, चावल, आलू, शकरकन्द, अरबी, शकर्रा, गुड़, सूखे मेवे, अधिक वसा, निर्जीव आहार (अधिक तले भुने, डेयरी प्राडक्स, डिब्बा बंद आदि) सेकरीन (Sacchrin) तथा मानसिक उद्वेग आदि से दूर रहें।
तुरन्त आराम के लिए उपचार के विकल्प:-
1. करेले का 1-2 तोले स्वरस नित्य पीने तथा उसकी सब्जी खाने से मधुमेह दूर होता है
2. ताजे आंवले का रस शहद में मिलाकर पीएं।
3. पका केला शहद के साथ खाएं।
4. जामुन और आम का रस समान मात्रा में मिलाकर लेने से कुछ दिनों में मधुमेह ठीक होता है।
5. आधा तोला मेथी के दाने (बीज) सायं को पानी में भिगो कर प्रातः उसे खूब घोंट कर और छानकर, बिना कुछ मिलाए एक सप्ताह पीने से मधुमेह नष्ट होता है।
6. जामुन की चार हरी पत्तियों को पीसकर दिन में दो बार पीने से मधुमेह दूर होता है।
7. चने को दूध में भिगो दें। फूल जाने पर शहद मिलाकर खाने से मधुमेह में लाभप्रद है।
8. जामुन की गुठली का चूर्ण, बेल पत्र का चूर्ण तथा करेले का चूर्ण बराबर भाग मिलाकर दो-दो माशे प्रातः सायं जल के साथ लें।
9. यदि बार-बार और अधिक मात्रा में पेशाब आए, प्यास लगे, तो आठ ग्राम पिसी हुई हल्दी नित्य दो बार पानी से फांक लें या आध् चम्मच शहद में मिलाकर चाट लें।
10. केवल चने (बेसन) की रोटी ही दस दिन तक खाने से पेशाब में शक्कर आना बंद हो जाता है।
क्या खाये:-
1. श्वेतसार, प्रोटीन, वसा आदि धीरे-धीरे घटाते हुए बिल्कुल बंद करके यथाशक्ति कुछ दिन नींबू रस पर उपवास करें।
2. बाद में कुछ दिन संतरा, अमरूद, अन्नानास, नाशपाती, पक्का गूलर, आंवला, कच्चा पपीता, कुकरौंधा, या फलरस अथवा धनिया चौलाई, पालक, बथुआ, लौकी, परवल, सलाद पत्ती, प्याज, मकोय, मौसम्मी, जामुन, अनार, सेब, आम, बेल पत्र, अंगूर, नारियल, चकोतरा, ग्रेपफ्रूट आदि फल ककड़ी, खीरा, मूली, मेथी, पत्तागोभी, तोरई, करेला, टिण्डा, टमाटर, शलजम, गांठ गोभी आदि साग-सब्जी या सब्जी सूप लें।
3. बाद में कुछ दिन मट्ठा लेने के बाद धीरे-धीरे जौ और चना की मिली जुली रोटी या जौ या चने की रोटी पर आ जाएं और साथ में उपरोक्त फल, सब्जी, मट्ठा, अंकुरित मूंग व चना का भी प्रयोग करें।
4. गाजर का रस 310 ग्राम, पालक का रस 185 ग्राम मिला कर पीएं।
5. सावधानी :- पेशाब मे चीनी बंद होने पर ही शहद व पानी में भिगो कर किशमिश ले सकते हैं।
विशेष सुझाव :-
1.इन्सुलिन लेने की आदत को एकदम बंद न करें।
2.भोजन चर्या की व्यवस्था तथा उपरोक्त उपचार व्यक्ति की दशाओं को देखकर ही करें।
3.रोगी को थकाने वाले अधिक उपचार न करें।
4. श्रम व विश्राम का संतुलन रखें।
5, अल्पाहार को खूब चबाएं।
6 खाने के साथ पानी न पीएं।
7.आहार के बाद वज्रासन लगाएं।
8. यदि इस एक क्रम से पूर्ण स्वास्थ्य न मिले तो आहार व उपचार के 2-3 और क्रम दुहराएं।
9. चिन्ता छोड़कर प्रातः-सायं- रात्रि गायत्री मन्त्र का जाप करके मधुमेह से पूर्ण मुक्ति के लिए सच्चे दिल से प्रार्थना करें।
प्राकृतिक चिकित्सा के उपचार:-
1. शुरू में लघु शंख प्रक्षालन या अति दुर्बलता में एनिमा का प्रयोग।
2. कमजोर रोगी केवल स्पंज बाथ परन्तु सशक्त हिप बाथ और गीली चादर लपेट लें।
3. तेल मालिश व धूप स्नान या स्टीम बाथ के बाद ठंडे जल से स्नान करने के बाद सूखी मालिश करें।
4. दिन में पर्याप्त जल पीएं।
5. कमजोर रोगी नंगे पांव यथाशक्ति टहलें, तैरें और पेट लपेट, गर्म पाद स्नान आदि लें।
6. कुंजर क्रिया, जलनेति, मिट्टी पट्टी, रीढ़ स्नान, पेट पर गर्म-ठंडा सेंक आदि का सहारा भी लें।
7. कमजोर रोगी योग निद्रा, नाडी शोधन, प्राणायाम, शीतली व शीतकरी प्राणायाम करें।
8. अनाहत चक्र में ध्यान केन्द्रित रखते हुए सुप्तवज्रासन लगाएं।
9. गुदा व जननेन्द्रि की नसों को ऊपर खींचते हुए ताड़ासन करें।
10. जालन्धर बंध के साथ भस्त्रिका प्राणायाम करें।
11. यथाशक्ति अवस्थानुसार सर्वागासन, मत्स्यासन, योगमुद्रा, वज्रासन, गोमुखासन, पवनमुक्तासन, भुजंग, शलभ, धनुरासन, अर्द्धमत्स्येन्द्र आसन, हलासन, पश्चिमोतान, उष्ट्रासन, शाशांक, शवासन, सूर्यनमस्कार, नौकासन, चक्करासन, मयूरासन आदि आसन करें।
12. उड्डियान बंध, अग्निसार क्रिया, कपालभाति व उज्जायी प्राणायाम करें तथा भ्रमरी प्राणायाम के साथ “ओइम” ध्वनि का उच्चारण भी करें।
13. हरे रंग की बोतल का सूर्य तप्त जल प्रातः खाली पेट पीएं।